Hindu Marriage Rituals, हिंदू धर्म में शादी को बेहद पवित्र बंधन माना जाता है। शादी सिर्फ दो लोगों को ही नहीं जोड़ती बल्कि दो परिवार भी साथ आते हैं।
Govtnews24 Webteam: नई दिल्ली: सनातन धर्म में विवाह के दौरान कुछ रस्मों का पालन किया जाता है। जिनमें से कुछ रीति-रिवाज बेहद अनोखे और मजेदार होते हैं। ऐसा ही एक रिवाज है दूल्हे के जूते चुराने का।
जूते छुपाने का रिवाज क्या है
जूतों को छुपाने की प्रथा में जब दूल्हा शादी के मंडप में प्रवेश करता है तो वह अपने जूते मंडप के बाहर उतार देता है। इस दौरान दूल्हे की ननद या दुल्हन की बहन और दोस्त दूल्हे के जूते छिपा देते हैं। जब दूल्हा अपने जूते वापस मांगता है, तो सालिया दूल्हे से कुछ मांग करती है।
दूल्हे को अपने जूते वापस पाने के लिए भाभियों की इच्छा पूरी करनी होती है, तो दूल्हा भाभियों को जूते वापस पाने के लिए पैसे देता है। भारत में ज्यादातर जगहों पर इस रस्म का पालन किया जाता है, लेकिन शायद ही कोई बता पाएगा कि जूते छुपाने का रिवाज क्यों किया जाता है। आज हम आपको इस खबर के जरिए जूते छुपाने की प्रथा के बारे में जानकारी देंगे।
वर के व्यक्तित्व का पता चल जाता है
बता दें कि जूता छुपाना एक ऐसी रस्म है जिसमें दूल्हे के व्यक्तित्व की जांच की जाती है। ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति के जूते उसके व्यवहार के बारे में जानकारी देते हैं। जब साली अपने देवर के जूते चुराती है तो एक तरह से यह देवर के सब्र की परीक्षा होती है।
इसमें यह भी देखने को मिलता है कि देवर अपने जूते वापस लेने में समझदारी दिखाते हैं। जूता छुपाने की रस्म के पीछे एक और तर्क दिया जाता है कि कहा जाता है कि ज्यादातर लोग विदाई के समय रोने लगते हैं। इसलिए जूते छुपाने की रस्म से वहां का माहौल खुशनुमा हो जाता है। इस रस्म से वहां बैठे मेहमानों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।
जूते छिपाकर करीब आते है दो परिवार
जानकारी के मुताबिक, बुजुर्गों का कहना है कि जूते चोरी की रस्म से दोनों परिवारों के रिश्ते मजबूत होते हैं. इस रस्म के जरिए ही दूल्हा-दुल्हन के परिवार वाले आपस में बात करने लगते हैं और तालमेल बढ़ता है। जैसे-जैसे चीजें बढ़ती हैं और वे एक-दूसरे के करीब आती हैं, एक अच्छा माहौल बनता है। इससे रिश्ते अच्छे बनते हैं और एक दूसरे पर विश्वास भी बढ़ता है।